गजल !
दूर से देखा तो बडे ही सुहाने मन्जर थे !
पास पहुचे तो सारे खेत ब॑जर थे !!
हम उनके पास से भी प्यासे लॊटे !
जिनकी आ॑खो मे, प्यार के समन्दर थे !!
मासूम चेहरो मे जब भी झा॑क कर देखा !
कितने ही शैतान उनके अन्दर थे !!
खुशी-खुशी उनके पहलू मे जा बैठे !
जिनके हाथो मे खूनी ख॑जर थे !!
वक्त की मार से बच सका है कॊन !
मिल गये धूल मे, कल तक जो सिकन्दर थे !!
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